यूपीआई से लेनदेन 2022-23 में रिकॉर्ड 139 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। 2016 में यूपीआई के जरिये सिर्फ 6,947 करोड़ रुपये का लेनदेन होता था। यूपीआई लेनदेन 1.8 करोड़ से बढ़कर 8,375 करोड़ पहुंच गया। खास बात है कि यूपीआई भुगतान में गांवों ने शहरों को पीछे छोड़ दिया।
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में जीडीपी की तुलना में डिजिटल भुगतान 668 फीसदी था, जो अब 767 फीसदी पहुंच गया है। खुदरा डिजिटल भुगतान 129 फीसदी से बढ़कर 242 फीसदी पर पहुंच गया है। 2022-23 में मूल्य के लिहाज से यूपीआई भुगतान में गांवों का हिस्सा बढ़कर 25 फीसदी पहुंच गया, जबकि शहरों की हिस्सेदारी 20 फीसदी रही।
एटीएम से निकासी घटकर 17 फीसदी हो गई है। एटीएम से कुल लेनदेन (डेबिट कार्ड) 30-35 लाख करोड़ रुपये रहा है। 2017 में एटीएम से लेनदेन नॉमिनल जीडीपी का 15.4 फीसदी था, जो अब 12.1% पर आ गया है।
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई के 2000 के नोट वापस लेने के फैसले का अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं होगा। हालांकि, इससे बैंकों को तरलता के मोर्चे पर मदद मिल जाएगी। नोट वापसी से करीब 3 लाख करोड़ रुपये वापस सिस्टम में आ जाएंगे, जबकि बैंकों के करेंसी चेस्ट के पास पहले से ही 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम है।